एक सज्जन हैं जिनका नाम है हरफनमौला । कभी शेयर खरीद कर कुछ समय बाद बेच देते हैं तो कभी पहले शेयर बेच देते हैं और खरीदते बाद में हैं, मगर ज्यादातर वो मुनाफा ही कमाते हैं। एक बार मैंने उनसे उनकी सफलता का रहस्य पुछा तो वो बोले की में तो गीता में श्री कृष्ण द्वारा बताए गए सिद्धांतों का पालन करता हूँ और पैसे कमाता हूँ। मुझे आश्चर्य हुआ की शेयर बाज़ार और गीता का क्या सम्बन्ध मगर उनसे बात करके मेरे ज्ञान चक्षु खुल गए। उनसे हुई बातचीत का सारांश यहाँ प्रस्तुत है।

हर आभूषण का तत्व है सोना और हर शेयर के अंदर तत्व है पैसा
गीता मैं कृष्ण ने तत्व ज्ञान बताया है, ”संसार की हर विशेषता मैं मैं ही हूँ । जैसे सोने के हर आभूषण में, हर तरह के डिजाईन के हार या अंगूठी मैं तत्व तो सोना ही है, ठीक उसी प्रकार हर तरह के शेयर मैं, चाहे वह रिलायंस हो या स्टेट बैंक , के अन्दर तत्व तो पैसा ही है। जैसे एक आभूषण को गला कर सोना प्राप्त किया जा सकता है और उससे फिर दूसरा आभूषण बनाया जा सकता है उसी तरह एक शेयर बेच कर जो पैसा प्राप्त होता है उससे हम फिर दूसरा शेयर खरीद सकते हैं । इसलिए वत्स अपना ध्यान तत्व (पैसे) पर लगाओ और तत्व (पूँजी) से तत्व (मुनाफा) पैदा करो।
द्वंद्वों से मुक्त हो जाओ
गीता में कहा है “द्वंद्वे विमुक्ता” अर्थात अपने आपको हर तरह के द्वंद्वों (जैसे ग्रीष्म – शरद, खट्टा -मीठा मोटा -पतला आदि ) से अलग रखो और उनसे प्रभावित मत हो। हर परिस्थिति का आनंद लो। इसीलिए मैं तेज़ी मंदी से प्रभावित नहीं होता और दोनों से ही मुनाफा कमाता हूँ । तेज़ी में मैं शेयर खरीद कर बाद में बेचता हूँ और मंदी में मैं शेयर पहले बेचता हूँ और फिर बाद मैं खरीद कर मुनाफा कमाता हूँ।
कर्म किए जा फल मत देख, ट्रेड किए जा प्रॉफिट मत देख
“कर्मण्ये वाधिका ……….. ” मतलब अपना कर्म किए जाओ और फल की चिंता मत करो । यदि तुम्हारा ध्यान फल की तरफ़ गया तो तुम्हारा कर्म ग़लत हो सकता है।” शेयर बाज़ार मैं भी तुम अपना कर्म करो यानी जब बाज़ार अच्छा लगे तो शेयर खरीदो और जब मंदा लगे तो उसे बेच दो। फायदा और घाटा मत देखो। ऐसा करने से तुम खरीद बेच करने का सही निर्णय कर पाओगे और फल यानी मुनाफा अपने आप आएगा। आत्मा एक शरीर से दूसरे में और पैसा एक बैंक अकाउंट से दूसरे में प्रवेश करता रहता है
“नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि ………….” यानी आत्मा को न तो जलाया जा सकता है न ही किसी शस्त्र से इसे नष्ट किया जा सकता है। आत्मा बारम्बार एक शरीर को त्याग कर दूसरे शरीर मैं प्रवेश करती है । इस बाज़ार मैं भी जो पैसा है वो कभी नष्ट नहीं होता सिर्फ़ एक निवेशक से दूसरे के अकाउंट मैं चला जाता है। इसका कुछ हिस्सा दलालों के खाते मैं भी जाता है मगर यह कभी नष्ट नहीं होता । यही शाश्वत सत्य है।
कर्मयोग हो या ज्ञान योग उद्देश्य तो पैसा कमाना ही है
“कुछ लोग कर्म योग से और कुछ अन्य ज्ञान योग से मोक्ष प्राप्त करते हैं। ” इस बाज़ार मैं भी बहुत लोग कर्म अर्थात डेली ट्रेड करके पैसा कमाते हैं और कुछ अन्य लोग अपने ज्ञान को टीवी पर परोस कर अपनी आजीविका चलाते हैं। मगर दोनों का ही उद्देश्य पैसा कमाना है। दोनों ही अपना ध्यान बाज़ार पर केंद्रित कर के कर्म और ज्ञान योग द्वारा पैसा कमाने की सफल या असफल कोशिश करते हैं।
अधर्म खत्म कर धर्म की स्थापना और मंदी खत्म कर तेजी की स्थापना
“यदा यदा ही धर्मश्य्ह गलानिर भवतु ………. ” अर्थात जब जब संसार में धर्म नहीं रहता और अधर्म का राज्य होता है तो कृष्ण आ कर धर्म की स्थापना करते हैं। ठीक इसी तरह जब जब बाज़ार में तेज़ी नहीं रहती और मंदी का घन घोर अंधकार हो जाता है तो हर्षद मेहता या केतन पारीख जैसा कोई बिग बुल बाज़ार में प्रवेश करके मंदी ख़त्म करके तेज़ी की पुनः स्थापना करता है और भक्तजनों (निवेशकों ) को प्रसन्न करता है।
ज्ञानवर्धक…..